वो बचपन, वो गैय्या, वो पीपल की छैय्या
वो यादोँ की कश्ती में, गोते लगाती मेरी नैय्या,
आज फ़िर बचपन याद आया.....
वो चिड़िया की ची-ची, वो कोयल की कूं-कूं
वो कौए का काँव-काँव,
और मैया का मेरी सुबह मुझको जगाना
आज फ़िर बचपन याद आया.....
सुबह की चाय से दिन बन जाना,
नींद में अनचाहे तैयार होना,
रोते-रोते स्कूल को
जाना,
मिलते ही यारों से सब भूल जाना,
आज फ़िर बचपन याद आया.....
स्कूल में लंच और बस छुट्टी का इंतज़ार,
दोस्तों से मिलना और मस्ती हज़ार,
घर पर मिले माँ के हाथ का खाना और प्यार बेशुमार,
आज फ़िर बचपन याद आया.....
वो दोस्तों का हर त्यौहार पर आना,
खुशियों में आकर चार-चाँद लगाना,
रोते को हँसाना, रूठे तो मनाना
हमेशा साथ रहने की वो “मम्मी की कसम” खाना,
आज फ़िर बचपन याद आया.....
ना जाने कहाँ गया,
उन स्कूल वाले दोस्तों का साया,
आँख भर आई और ख़ुद को तन्हा पाया,
मतलबी और धोखेबाजी ने दोस्ती पर से विश्वास उठाया,
तब फ़िर वही बचपन याद आया.....
#Devprabha_Paridhi